Monday, November 14, 2016

प्रेरणा......



गहन उदासी के अंधियारे मे
जब मैंने आशा की किरन को भीं खो  दिया
तब प्रकृति के असीम  सौंदर्य ने
मुझे नया हौसला जीने का दियां


शाम को जो सूरज रात के अंधियारे में खो जाता
सुबह वही मेरे लिए आशा की नयी रोशनी  लेकर आता
कड़ाके की रात में चाँद जागकर दुनिया की  रखवाली करता
 उसे देख अपना स्वार्थ छोड़ मुझे  दुनिया के लिये जीने का मन करता
रात्रि की  गहन  निस्तब्धता में रात कान लगाकर कुछ सुनना चाहती
और मेरे ह्रदय में पवित्र विचारों का  उदय करती


बारिश की बूंदो से  पेड़ो की कोपलें झुक जाती  
और मुझे जिंदगी के एक -एक पल के कीमती होने का अहसास कराती
भौंर में औस की बूंदो  से दूब के पत्ते सर नवा लेते
वे मुझे इस  खूबसूरत दुनिया में और देर तक जीने की लालसा पैदा करते


शाम को झुण्ड बनाकर  अपने घरोँ को लौटते पक्षी
जीने के लिये उड़ान नयी भरने की मुझे  प्रेरणा देते
बसंत में सरसों के लहलहाते पीलें  खेत
मन को कोमल भावनाओं से भर देते


आम के बागों से  आती भीनी भीनी मन्द  सुगन्ध
मुझे जीवन  के निश्चय ही  सुन्दर होने का अहसास कराती
 बसंत के बाद धरती पर सोना बरसाते  गेंहू के  खेत
मुझमे मानसिक शांति और खुशहाली  भर देते


प्रकृति के इस  असीम सौंदर्य को देखकर
मेरे मन से एक हूक निकलती
आह, दुनिया कितनी सुन्दर है
और इन सुन्दर दृश्यों को मै जब भी देखती
तो दिल  को दुखाने  वाली सभी बातों को भूल जाती
और  ये सोचती
ये दुनिया जब इतनी सुन्दर है
तो फिर  मैं क्यों  जीवन से उदास हूँ?
 तब मैने संघर्ष जीने के लिये फिर से किया
 और तब मेरे लबों से ये निकला-
अंधकार मत रोक मुझे, हंट जा दूर निराशा
तुझ में इतनी शक्ति  कहाँ , है जितनी मुझमें आशा