Tuesday, January 3, 2017

जीवन सफर

माना के सफर है कठिन बहुत,मगर तू राही हार ना जाना 
जीवन की उलझी राह संवार, तू आगे बढ़ते जाना

हमेशा नहीं रहता समय, मुश्किल भरा एक जैसा 
कोई नहीं इंसान यंहा पर, जिसने दुख ना झेला 
बीते दिनो की याद को बिसराकर, तू आगे  बढ़ते जाना 
ढूंढ लेना तू नयी मंजिल, नयी ज़मी ,ये नया आसमा 
घबराना ना तू मुश्किल से, हारकर रुक मत जाना 
जीवन की उलझी राह संवार, तू आगे बढ़ते जाना

शाम को जो सूरज अंधियारे में खो जाये
वही लौटकर फिर नया सवेरा लाये 
जीवन की ये मुश्किल काट ले तू हॅसते-२
मिल जायेगी मंजिल एक रोज तो चलते -२
संघर्ष करके मुश्किलो से तुझको है आगे चलते जाना 
जीवन की उलझी राह संवार, तू आगे बढ़ते जाना

हो कितना भी गहरा अंधेरा, हो कितनी भी टेढ़ी डगर 
एक कोशिश और करना तू बैठ ना जाना हारकर 
इस अंधियारे से आगे जब तू बढ़ जायेगा 
ये सूरज भी तेरे आगे झुक जायेगा 
संगीन रात को भी है इक रोज़ तो ढल जाना
जीवन की उलझी राह संवार, तू आगे बढ़ते जाना

माना के सफर है कठिन बहुत, मगर तू राही हार ना जाना 
जीवन की उलझी राह संवार, तू आगे बढ़ते जाना