Friday, May 9, 2014

एक वो सुबह



एक सुबह वो आएगी
जब इस दुनिया से
 दौलत की हुकूमत जाएगी
और मेहनत की हुकूमत आएगी
तब दुनिया की मेहनतकश जनता
एक नया सवेरा पायेगी
भौगोलिक सीमाओं में बंधी ये दुनिया
तब एक ही देश बन जाएगी
बिन पुलिस और जेलों के
उस दुनिया की सरकार चलायी जायगी
सब मालिक बन जायेंगे मजदूर कोई रहेगा
तब कोई अन्नदाता  आत्महत्या करके मरेगा
जीने के लिए दौलत जरुरी आवश्यकता होगी
इन्सान के खुशहाल जीवन की बस निश्चितता होगी
हिन्दू और मुस्लमान में बटा इन्सान रहेगा
इन्सान की तरह जीने के लिए बस एक सभ्य समाज रहेगा
फ़ौज तोप बम की जरुरत रह जाएगी
बारूद के ढेर पे बैठी ये दुनिया तब स्वर्ग से भी सुन्दर बन जाएगी 

Tuesday, May 6, 2014

सुन्दर समाज


अँधियारा जग से भाग जाये, जीवन उजियारा हो जाये
आओ मिलकर संघर्ष करें , सुन्दर एक समाज बनायें

भूखा न जहाँ किसी माँ का बच्चा सोये
सड़कों पे जहाँ लावारिश बचपन न रोये

जहाँ जिस्म बेचकर कोई औरत रोटी न कमाये
जहाँ मेहनत की कमाई को सरमायेदार न खाए

ठण्ड से, भूख से जहाँ कोई इंसान न मरे
दौलत के लिए जहाँ भाई भाई का क़त्ल न करे

जहाँ दस्तूर पुराने सदियों के इंसा पर न लादे जाये
जहाँ हया के नाम पे औरत को न मारा जाये

जहाँ प्रेम पर न समाज का पहरा  हो
जहाँ मानव का मानव से रिश्ता गहरा हो

चारों  और बस पात हरे हो, फूल खिले हो
और इन्सान के जीवन में आयी खुशहाली हो