एक सुबह वो
आएगी
जब इस दुनिया
से
दौलत की
हुकूमत जाएगी
और मेहनत की हुकूमत
आएगी
तब दुनिया की मेहनतकश
जनता
एक नया सवेरा
पायेगी
भौगोलिक सीमाओं में बंधी
ये दुनिया
तब एक ही
देश बन जाएगी
बिन पुलिस और जेलों
के
उस दुनिया की सरकार
चलायी जायगी
सब मालिक बन जायेंगे
मजदूर न कोई
रहेगा
तब कोई अन्नदाता आत्महत्या
करके न मरेगा
जीने के लिए
दौलत न जरुरी
आवश्यकता होगी
इन्सान के खुशहाल
जीवन की बस
निश्चितता होगी
हिन्दू और मुस्लमान
में बटा इन्सान
न रहेगा
इन्सान की तरह
जीने के लिए
बस एक सभ्य
समाज रहेगा
फ़ौज न तोप
न बम की
जरुरत रह जाएगी
बारूद के ढेर
पे बैठी ये
दुनिया तब स्वर्ग
से भी सुन्दर
बन जाएगी
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