Tuesday, May 6, 2014

सुन्दर समाज


अँधियारा जग से भाग जाये, जीवन उजियारा हो जाये
आओ मिलकर संघर्ष करें , सुन्दर एक समाज बनायें

भूखा न जहाँ किसी माँ का बच्चा सोये
सड़कों पे जहाँ लावारिश बचपन न रोये

जहाँ जिस्म बेचकर कोई औरत रोटी न कमाये
जहाँ मेहनत की कमाई को सरमायेदार न खाए

ठण्ड से, भूख से जहाँ कोई इंसान न मरे
दौलत के लिए जहाँ भाई भाई का क़त्ल न करे

जहाँ दस्तूर पुराने सदियों के इंसा पर न लादे जाये
जहाँ हया के नाम पे औरत को न मारा जाये

जहाँ प्रेम पर न समाज का पहरा  हो
जहाँ मानव का मानव से रिश्ता गहरा हो

चारों  और बस पात हरे हो, फूल खिले हो
और इन्सान के जीवन में आयी खुशहाली हो

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