अँधियारा जग से भाग
जाये, जीवन उजियारा हो जाये
आओ मिलकर संघर्ष करें
, सुन्दर एक समाज बनायें
भूखा न जहाँ किसी माँ
का बच्चा सोये
सड़कों पे जहाँ लावारिश
बचपन न रोये
जहाँ जिस्म बेचकर कोई
औरत रोटी न कमाये
जहाँ मेहनत की कमाई
को सरमायेदार न खाए
ठण्ड से, भूख से जहाँ
कोई इंसान न मरे
दौलत के लिए जहाँ भाई
भाई का क़त्ल न करे
जहाँ दस्तूर पुराने
सदियों के इंसा पर न लादे जाये
जहाँ हया के नाम पे
औरत को न मारा जाये
जहाँ प्रेम पर न समाज
का पहरा हो
जहाँ मानव का मानव
से रिश्ता गहरा हो
चारों और बस पात हरे हो, फूल खिले हो
और इन्सान के जीवन
में आयी खुशहाली हो
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