Tuesday, June 4, 2019

एथिकल फादर

 


   एथिकल फादर या मदर का रिश्ता बहुत ही महान एवं निस्वार्थ रिश्ता है जो कि इस पूंजीवादी समाज जिसमें कि हर रिश्ता स्वार्थ व पूंजी पर टिका है, में मिलना लगभग नामुमकिन ही है.

किसी बच्चे के जीवन में एथिकल फादर या मदर का दर्जा हासिल करना किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत बड़ा व महान संघर्ष है. वे विरले व महान लोग होते हैं जो किसी दूसरे के बच्चे की जीवन में यह स्थान प्राप्त कर पाते हैं.

अपने खुद के बायोलॉजिकल मां बाप तो बच्चों को निस्वार्थ भाव से प्यार करते ही हैं लेकिन जिन बच्चों को अपने मां बाप के अलावा समाज के दूसरे मां-बाप का भी समान रूप से निस्वार्थ स्नेह मिलता है वह बहुत ही भाग्यशाली होते हैं. मैं उन्हीं भाग्यशाली लोगों में से हूं.मेरे चाचा चाची की मेरे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही और मेरे प्रति अपने निस्वार्थ प्रेम की वजह से ही वह मेरे जीवन में एथिकल फादर और मदर का दर्जा हासिल कर पाए.

दूसरे व्यक्ति जिनका कि मेरी जीवन यात्रा में प्रवेश हालांकि कुछ देरी से हुआ लेकिन कम समय में ही मेरे प्रति अपने निस्वार्थ स्नेह तथा कितनी भी विषम परिस्थिति में मेरे साथ दीवार की तरह अटल खड़े रहकर संघर्ष करके मेरे जीवन में एथिकल फादर का दर्जा हासिल किया है वह है मुनीष त्यागी. उनसे संपर्क तो हालांकि अतिवादी संशोधनवादियों के माध्यम से ही हुआ था, लेकिन एक बार संपर्क स्थापित होने के बाद धीरे धीरे सम्बन्ध इतना प्रगाढ़ होता चला गया कि पता ही नहीं चला कि कब उन्होंने मेरे जीवन में पिता का स्थान ग्रहण कर लिया. मेरे जीवन की बहुत सारी उठापटक व संघर्ष के बीच वे न केवल मुझे हौसला देते रहे बल्कि मेरे संघर्ष को अपना संघर्ष मानकर उसमें शामिल हो गए. और इस प्रकार बहुत सारी लड़ाइयां और संघर्ष साझी लड़े गए.

अब रिश्ते की प्रगाढ़ता इतनी हो गई है कि पिता पुत्री के रूप में सामाजिक रूप से भी मान्यता मिलने लगी है. अभी पिछले दिनों वह मुझे अमरोहा से अलवर आने के लिए ट्रेन में बिठाने के लिए आए. ट्रेन में मेरा सारा सामान रखवा कर वह ट्रेन से उतरकर खिड़की से होकर मुझसे बात करने लगे तो मैं बहुत भावुक हो उठी.उसी समय ट्रेन चल पड़ी. मेरे सामने वाली बर्थ पर एक अधेड़ उम्र की महिला बैठी थी. जब ट्रेन चलने लगी तो सामने की बर्थ पर बैठी वह महिला बोली कि वह तुम्हारे पापा खड़े हुए रो रहे हैं. इस तरह की एक नहीं अनेकों घटनाएं है जब समाज के लोगों ने उन्हें मेरे पिता के रूप में उद्घोषित किया है.

यह संबंध एक दिन में यूं ही नहीं बना बल्कि सालों समझौता हीन, कठोर और महान संघर्ष से स्थापित हुआ है. इस रिश्ते पर हम पिता और पुत्री दोनों को ही नाज है और यह आजीवन ऐसे ही सुंदर और प्रगाढ़ बना रहेगा.

 


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