Many lives come and go but the ethoes of some of them remain,to touch our souls in unforseen ways. Lives of these heroes speak to our hearts and give us strength for finding the inspiration within ourselves to write the story of our own life.
Thursday, June 28, 2012
रास्ता .....
घर तुम्हारे बिना दीवारों की एक इमारत बन गया है
हर्ष और उल्लास तो मानो सामान बांधकर कंही चला गया है
एक हँसता हुआ चेहरा अब कही दिखाई नहीं देता है
एक रोबदार आवाज अब कही सुनाई नहीं देती है
अब तुम घर के दरवाजे पर खड़े, मेरे आने का इंतजार नहीं करते
आँखों से ओझल होने तक ,मुझे हाथ हिला कर विदा नहीं करते
धूल के अद्रश्य दरवाजो को खोलते हुए,तुम मुझे यंहा अकेला छोड़
किसी पहाड़, जंगल या नदी की और चले गए हो
और खुद एक पहाड़ ,नदी या तारा बन गए हो
असहनीय दर्द में भी तुम्हे जीवन में विश्वास था
धीरे धीरे टूटती दीवारों के बीच भी तुम पत्थरों की अमरता खोज लेते थे
जब भी मै तुम्हारे पास आती, तुम अपना सारा दुःख छिपा लेते थे
साडी लड़ाई तुम लड़ते थे ,लकिन जीतती सिर्फ मै थी
तुम्हारे कमरे की हर चीज़ ,हर कोना,
तुम्हारे साथ बिताये वक़्त की मुझे याद दिलाता है
तुम्हारी किताबे, कपडे,और दवाइयों की ख़ाली शीशिया तक
तुम्हारे आसपास होने का मुझे अहसास दिलाते है
बेलो से लेकर बगीचे का हर पौधा,आँगन में खड़ा पेड़ तक
घर के दरवाजे से लेकर,घर की सीढ़िया और आँगन तक
हर वस्तु तुम्हारे वापस आने का रोज मेरे साथ इंतजार करती है
और तुम्हारे न आने पर वे सब भी मेरे साथ रोते है
आदमी अकेला नहीं मरता, मरता है घर का एक एक जन थोड़ी थोड़ी सी मौत
और घर भर में टहलता रह जाता है दुःख
मगर दुःख और अंतहीन इंतजार के अंधियारे में हमें मिलता है एक रास्ता
एक आदमी के पसीने और रक्त से बना हुआ
और हमारे पांवो को पुकारती है उस रस्ते की धूल
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Not a second passes when he is not there in our mind and we dont feel his presence.
ReplyDeleteGaurav
yes kavita boht sare sundr images se bhari hui hai !!
ReplyDeletebina shaq ! ye jiwan ke sach aur dard ko batati kavita hai,, Lekin kavita mein jo YAD (memories ) ka images aya hai vo iski khasiyat hai !! is kavita me kei myth vi aa gei hain , ve behad sundrta se ayinhain .....और खुद एक पहाड़ ,नदी या तारा बन गए हो... !!
KAVITA mein bichadna hai lekin is me apnapan boht hi viraat roop me pada hai... dekhiye ,,,,...साडी लड़ाई तुम लड़ते थे ,लकिन जीतती सिर्फ मै थी
..........
jiwan ke sach ko ek hi line me pura kar dikhaya hai !! ...आदमी अकेला नहीं मरता, मरता है घर का एक एक जन थोड़ी थोड़ी सी मौत...
thanks for this beautiful Poem !! :))
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