Tuesday, November 24, 2020

इरादे


मुश्किलें तो केवल इंसान के इरादे आज़माती हैं, 

लेकिन वे स्वप्न के पर्दे भी निगाहों से हटाती हैं। 


सफर में अगर मुश्किलें आएं तो हिम्मत और बढ़ती है ,

कोई अगर रास्ता रोके तो जुर्रत और बढ़ती है। 


आँधियों को ज़िद है जहाँ बिजलियाँ गिराने की,

मुझे भी ज़िद है वहीँ आशियाँ बनाने की। 


हिम्मत और हौसलें बुलंद हैं मेरे, मैं थकी नहीं हूँ,

जंग अभी बाकी है और मैं हारी भी नहीं हूँ। 


अभी न पूछो मुझसे मेरी मंजिल कहाँ है,

अभी तो मैंने चलना शुरू किया है और बाकी  सारा जहाँ है। 

Monday, November 23, 2020

जीवन की एक सुन्दर स्मृति


   



















    ये किसी वेबसाइट से चुराई गयी फोटो नहीं है बल्कि अब से लगभग चार साल पहले गांव में घर पर हमारे द्वारा बनाये गए बगीचे में खिले हुए फूल हैं, जिनकी फोटो आज मुझे अचानक से अपने लैपटॉप में मिली तो इस बगीचे और इन फूलो से जुडी बहुत सारी बाते भी याद आ गयी। यूँ तो मुझे बच्चे, पेंटिंग्स, संगीत, कला, पेड़, पौधे, फूल, पत्ते, हरियाली, पशु, पक्षी यह सभी बचपन से ही बहुत पसंद है,और मेरे जीवन का अहम हिस्सा भी रहे हैं। लेकिन अब से लगभग 5 साल पहले जब मुझे बच्चों के साथ रहने और पौधों और फूलों को खुद से रोपने और सींचने का मौका मिला तब मुझे उनके असली सौंदर्य का पता चला। 

      उस समय मैं एकमात्र क्रांतिकारियों के भयंकर मानसिक शोषण से मुक्त होकर अपने गांव में रह रही थी तब मैंने गांव के आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्भूमि के छोटे बच्चो को फ्री कोचिंग देनी शुरू की। शुरुआत दो बच्चो से हुई लेकिन थोड़े ही दिनों में बीस बच्चे हो गए। मेरी उस फ्री कोचिंग के बदले वे बच्चे मुझे जितना प्रेम देते थे, उसके सामने मेरी द्वारा उन्हें दी जाने वाली कोचिंग बहुत तुच्छ थी। बच्चे जब भी पढ़ने आते तो अपने घर से मेरे लिए खाने के लिए कुछ न कुछ आइटम जरूर लेकर आते। सिर्फ इतना ही नहीं धीरे धीरे वे शाम को भी मेरे लिए कुछ स्पेशल खाना अपनी माँ से बनवाकर पंहुचा कर जाते। और फिर हर दिन आपस में लड़ते कि दीदी का आज शाम का खाना हम अपने घर से लेकर आएंगे। और इस तरह हर रोज शाम का खाना मेरे लिए किसी न किसी बच्चे के घर से आने लगा। मेरे बहुत मना करने पर भी वो खाना जरूर पंहुचा कर जाते। जिस खाने में इतना प्यार छिपा होता वो मुझे दुनिया सारे लज़ीज़ व्यंजनो से भी स्वादिष्ठ लगता। 

      कुछ दिनों के बाद वे खाना देने रोजाना शाम को टोली बनाकर आने लगे। ये सिलसिला लगातार चलता रहा और फिर वो शाम को देर से आने लगे और देर रात को जाने लगे। रात को देर रात तक मेरे साथ मेरे बिस्तर में बैठ जाते और फिर धीरे धीरे देर रात तक जमनी वाली इस महफ़िल में कहानी,चुटकुले,गीतों का सिलसिला जारी हो गया। और इसमें उनके साथ साथ मुझे भी बहुत आनंद लगा। लेकिन  क्योकि उन्हें अपने घर के भी ढेर सारे काम करने होते थे तो  शाम के समय मेरे पास आने पर उनकी मम्मियां उन्हें डांटने लगी फिर उन्होंने अपने हिस्से के सारे काम दिन में ही निपटाने शुरू कर दिए, क्योकि उन्हें हर हाल में शाम की महफ़िल में जो शामिल होना था। लेकिन स्कूल से बाद के समय में वो अपने शाम के घरेलू काम निपटाते तो फिर मेरे पास पढ़ने आने का समय नहीं मिल पता था। और सुबह को स्कूल जाने से पहले उन्हें अपनी माओं के साथ खेत से  पशुओं के लिए चारा लाना होता था। इसलिए उन्होंने मेरे पास पढ़ने आने और शाम की महफ़िल में शामिल होने के लिए दिन के काम भी सुबह जल्दी उठकर निपटाने शुरू कर दिए। और इस तरह हमारी महफ़िल जारी रही लेकिन फिर रात की महफ़िल पर मेरे घरवालों ने आपत्ति उठानी शुरू कर दी क्योकि सर्दियाँ शुरू हो गयी थी और हमारी महफ़िल शाम को जब एक बार शरू होती तो फिर रात को दस ग्यारह बजे तक चलती रहती। क्योकि घर का फाटक बच्चो के वापस जाने तक खुला रहता और उनके जाने के बाद देर रात को बंद करना पड़ता। तो घरवालों के कहने पर मैंने बच्चो से रात को आने के लिए जब मन किया तो उनके चेहरे लटक गए क्योकि रात की महफ़िल में बेइंतहा आनद जो आने लगा था। फिर बोले दीदी यहाँ आने की वजह से ही तो हम इतनी ठण्ड में भी सुबह जल्दी जागकर अपने घरेलू काम निपटाते हैं. कोई बात नहीं फाटक बंद हो जाने दो लेकिन हम जरूर आएंगे। फिर उन्होंने ही उसका रास्ता निकाला।  फाटक बंद होने पर वो दीवार कूदकर आने लगे और देर रात को दीवार कूदकर ही जाते। हमारा ये पढ़ने पढ़ाने का सिलसिला जारी रहा और रात की महफिले भी जारी रही। और इनमे हमें बेशुमार आनद आने लगा। धीरे धीरे बच्चों की संख्या भी बढ़ने लगी और इस तरह एक पूरा बड़ा समूह बन गया। कुछ समय बाद बच्चो को एक आईडिया सुझा कि क्यों न हम सब लोग मिलकर एक सुन्दर बगीचा बना ले फिर उसी में बैठकर पढ़ा करेंगे। उस दिन के बाद घर के पीछे खाली पड़ी काफी जमीन को हमने फावड़े से खोदना और समतल करना शुरू कर दिया और दो महीनो के अंदर ही उसे हमने एक छोटा खेत बनाकर अनेक तरह के फूलों के पोधो से पाट दिया। और फिर अगला बसंत आते आते पूरी बगिया फूलों से खिल उठी। ये फूल उसी बगिया के हैं। उस फूलों से लदी बगिया में बैठकर पढ़ना पढ़ाना जीवन के सुन्दरतम अनुभवों में से एक साबित हुआ। 

   पढ़ने पढ़ाने का ये सिलसिला लगभग दो वर्षों तक चलता रहा। उसके बाद जब मैंने शादी करने का निर्णय किया तो मेरे प्यारे बच्चों के चेहरे मुरझा गए। दीदी अब हमें कौन पढ़ायेगा? कितना कुछ सीखा हमने इन दो सालों में, अब कौन सिखाएगा। खैर वो सारे बच्चे मेरी शादी में आये और इतने सुन्दर तोहफे मेरे लिए लाये जो कि मेरे लिए शादी में आये बाकी सारे तोहफों से बहुमूल्य थे। 

    उन बच्चो के द्वारा दिए गए निस्वार्थ प्रेम को याद करके आज भी मेरी आँखों में हर्ष के आंसू आ जाते हैं। आज भी जब भी घर जाती हूँ तो मेरे आने का पता लगते ही तुरंत सारे के सारे मुझसे मिलने चले आते हैं। अब बड़े हो गए है और बड़ी क्लास में भी पहुंच गए हैं, लेकिन मासूमियत और चंचलता के मामले में अभी भी वही छोटे बच्चे हैं। मुझे देखते ही तुरंत मुझसे लिपट जाते हैं, मानो कोई बहुत समय पहले बिछड़ा प्रेमी मिल गया हो। मुझसे कहते है कि दीदी ये आपकी पढाई हुई पढाई का ही नतीजा है की हम शराब से बहुत दूर हैं नहीं तो गांव के बाकि बच्चे जो कि उनकी उम्र के है आज सब शराब पीते हैं। और कहते हैं कि जो समय उन्होंने मेरे साथ गुजरा वह बहुत अच्छा समय था। 

   उन बच्चों के साथ गुजरा वो समय और उनसे मिला निश्छल प्रेम मेरे जीवन की सबसे सुन्दर स्मृतियों में से एक है। 

Wednesday, June 3, 2020

जिंदगी

     

       पक्षियों के लिए सुबह का होना किसी खूबसूरत घटना के होने से कम नहीं होता। वे सुबह होने का जश्न बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ में अलग अलग आवाजों में  कलरव गान करके मनाते है. 5:00 बजे के बाद उन्हें सोना बिलकुल स्वीकार नहीं होता है,और वे चाहते है कि समस्त मानव जाति भी उनके जश्न में शामिल हो जाये शायद इसीलिए वे  इतनी तेज आवाज में सुबह होने पर कलरव गान करते हैं. जब से हम लोग इस खूबसूरत  कैम्पस में आये है, तो यहाँ पक्षियों खासतौर पर मोरों के साथ रहने व उन्हें नज़दीक से जानने का बड़ा ही सुनहरा मौका मिला. मोर सुबह 5  बजे अपना पीहू पीहू का गान शुरू कर देते हैं, फिर उसके बाद वे  मॉर्निंग वॉक पर झुंड के झुंड बनाकर निकल जाते हैं. उनकी मॉर्निंग वॉक के रास्ते में जो भी दीवार, पोल, पेङ या फिर पिलर आता है, वह सब के ऊपर चढ़ जाते हैं और उन पर बैठकर इठला इठलाकर कलरव गान करते हुए और झूम-झूम कर नाचते हुए कतारों में आगे बढ़ते जाते हैं. उनके इस उत्सव को देखकर लगता है कि सुबह का होना उनके लिए कितना खास होता है. उनके इस उत्सव व जश्न को देखकर मुझे लगने लगा है कि हम मनुष्य खाने कमाने की भाग दौड़ में कितने मनोरंजन-हीन हो गए हैं जिनके लिए सुबह का होना कोई महत्तव नहीं रखता. 
    इन मोरो को देखकर अब मैंने भी सुबह होने का जश्न मनाना सीख लिया है. इन्हे देखकर मेरा मन होता है कि काश मेरे भी पंख उग आयें और मैं भी ऐसे ही झूम-झूम कर नाचते हुए मॉर्निंग वॉक पर जाऊं.आज सुबह जैसे ही आंख खुली और दरवाजा खोल कर बाहर देखा, तो पता चला कि प्रकृति का असीम सौंदर्य सामने हिलोरे ले रहा है .पक्षी अपना कलरव गान कर रहे थे, मोर अपना नृत्य गान कर रहे थे, दूब के पत्ते ओस की बूंदों से सर नवाए हुए थे और मंद मंद ठंडी ठंडी हवा की बयार चल रही थी, आकाश में बादलों का तान तना हुआ था. प्रकृति के इस उत्सव में शामिल होने के लिए मैं भी तुरंत घर से बाहर आ गयी और गुदगुदे घास के मैदान पर, जो कि ओस से लबालब भरे हुए थे , पर नंगे पैर मोरो के नृत्य में शामिल हो गयी. ये अनुभव बहुत रोमांचित कर देने वाला था. घास के मैदानों में ओस इतनी अधिक थी कि मन कर रहा था कि इन घास के नरम व मुलायम बिछोनों पर लेट जाऊं और सारी ओस को अपने पर लपेट लूं. 
      उसके थोड़ी देर बाद ही झमाझम बारिश शुरू हो गयी और मै  घर के अंदर आ गयी। ठंडी हवा की बयार और गीली मिट्टी की भीनी भीनी मंद मंद सुगंध घर के दरवाजे से अंदर आने लगी, ऐसे खूबसूरत मौसम को  देखकर मैने  महान साहित्यकार चेखव के महान प्रेम की कहानी को पढना शुरू कर दिया. जिसे पढ़ने के बाद बहुत ही शानदार अनुभूति हुई. उसी समय मुझे महान कलाकार वांग गोग का वो उद्धरण याद आया जिसमे उन्होंने कहा था कि यदि तुम्हारे पास प्रकृति ,कला, कविता और प्रेम है और अगर वह तुम्हारे जीवन के लिए पर्याप्त नहीं है, तो फिर क्या पर्याप्त होगा? वास्तव में प्रकृति, कला और साहित्य ही हमें दुनिया की सबसे खूबसूरत और रोमाँचक अनुभूति दे सकते है. और जिस इंसान ने अपने जीवन में इनका रसपान नहीं किया वो दुनिया का सबसे बड़ा दरिद्र है। 
    आज इस पूंजीवादी व्यवस्था में जीवन जिस तरह से जिंदा रहने की जद्दोजहद में जुट जाना मात्र रह गया है, वहां कला प्रकृति और कविता के लिए तो मनुष्य के पास समय ही नहीं रह गया है. खासतौर पर मध्यवर्गीय समाज तो आज सिर्फ पैसा कमाने की मशीन भर बनकर रह गया है. प्रेम और प्रकृति शब्द तो मानो उनके जीवन से विलुप्त ही हो गया है. सुबह घर से काम के लिए ऑफिस निकल जाना और शाम को लौट कर घर आ जाना बस यही मानो उनका जीवन रह गया है. घर उनके लिए विश्राम करने और खाना खाने का एक स्थान मात्र बन कर रह गया है. जीवन का असल स्वाद उन्होंने चखा ही नहीं. खाने की भाग दौड़ में लिपटे नीरस और उबाऊ जीवन को ही वे असल में जीवन मान बैठते हैं. वे नहीं जानते कि जीवन  की आशाओं, उमंगो और आरजूओं का नाम ही असल में जिंदगी होता है

Monday, April 27, 2020

साथ साथ जीवन के दो साल

कल साथ-साथ जीवन के 2 वर्ष पूरे हुए. और यह समय इतना शानदार रहा कि मैं कह सकती हूं कि यह मेरे अब तक के जीवन का सबसे शानदार समय रहा. पहले मुझे लगता था कि मेरे लिए बेहतर जीवन साथी कोई कम्युनिस्ट ही हो सकता है. लेकिन जीवनसाथी के रूप में मिले इस नोन कम्युनिस्ट साथी ने मेरी इस अवधारणा को बिल्कुल गलत साबित कर दिया. बल्कि कहा जाए कि मुझे उससे बेहतर साथी कोई मिल ही नहीं सकता था. धीरे-धीरे इस साथी को कम्युनिस्ट बनने के संघर्ष में शामिल कराने के लिए मेरा प्रयास जारी है और उसमें कुछ हद तक सफलता भी मिल रही है.और अपने अनुभव से मैं कह सकती हूं कि कम्युनिस्ट होने का ढोंग रचाने वालों से, समाज का एक साधारण व्यक्ति जो कि इंसानी गुणों से लैस है कहीं ज्यादा बेहतर होता है.

       असल में जीवन के असली स्वाद का पता तो मुझे इन एकमात्र जेनुइन कम्युनिस्टों के चंगुल से आजाद होने के बाद चला. और जीवन कितना खूबसूरत, कितना आनंदमय, कितना ऊर्जावान हो सकता है इसका पता मुझे इस व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद चला. इन पिछले 2 सालों में जीवन के जितने भी खूबसूरत रंग होते हैं उन सब का स्वाद मैंने चखा.मेरे वीरान जीवन में बहार लाने के तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया साथी. यह प्यार और खुशियां जीवन में हमेशा ऐसे ही बनी रहे. तुम्हारे लिए मैं यही कहना चाहूंगी कि-
तुम्हे पाके हमने जहां पा लिया है
जमीं तो जमीं आसमा पा लिया है

Tuesday, June 4, 2019

एथिकल फादर

 


   एथिकल फादर या मदर का रिश्ता बहुत ही महान एवं निस्वार्थ रिश्ता है जो कि इस पूंजीवादी समाज जिसमें कि हर रिश्ता स्वार्थ व पूंजी पर टिका है, में मिलना लगभग नामुमकिन ही है.

किसी बच्चे के जीवन में एथिकल फादर या मदर का दर्जा हासिल करना किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत बड़ा व महान संघर्ष है. वे विरले व महान लोग होते हैं जो किसी दूसरे के बच्चे की जीवन में यह स्थान प्राप्त कर पाते हैं.

अपने खुद के बायोलॉजिकल मां बाप तो बच्चों को निस्वार्थ भाव से प्यार करते ही हैं लेकिन जिन बच्चों को अपने मां बाप के अलावा समाज के दूसरे मां-बाप का भी समान रूप से निस्वार्थ स्नेह मिलता है वह बहुत ही भाग्यशाली होते हैं. मैं उन्हीं भाग्यशाली लोगों में से हूं.मेरे चाचा चाची की मेरे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही और मेरे प्रति अपने निस्वार्थ प्रेम की वजह से ही वह मेरे जीवन में एथिकल फादर और मदर का दर्जा हासिल कर पाए.

दूसरे व्यक्ति जिनका कि मेरी जीवन यात्रा में प्रवेश हालांकि कुछ देरी से हुआ लेकिन कम समय में ही मेरे प्रति अपने निस्वार्थ स्नेह तथा कितनी भी विषम परिस्थिति में मेरे साथ दीवार की तरह अटल खड़े रहकर संघर्ष करके मेरे जीवन में एथिकल फादर का दर्जा हासिल किया है वह है मुनीष त्यागी. उनसे संपर्क तो हालांकि अतिवादी संशोधनवादियों के माध्यम से ही हुआ था, लेकिन एक बार संपर्क स्थापित होने के बाद धीरे धीरे सम्बन्ध इतना प्रगाढ़ होता चला गया कि पता ही नहीं चला कि कब उन्होंने मेरे जीवन में पिता का स्थान ग्रहण कर लिया. मेरे जीवन की बहुत सारी उठापटक व संघर्ष के बीच वे न केवल मुझे हौसला देते रहे बल्कि मेरे संघर्ष को अपना संघर्ष मानकर उसमें शामिल हो गए. और इस प्रकार बहुत सारी लड़ाइयां और संघर्ष साझी लड़े गए.

अब रिश्ते की प्रगाढ़ता इतनी हो गई है कि पिता पुत्री के रूप में सामाजिक रूप से भी मान्यता मिलने लगी है. अभी पिछले दिनों वह मुझे अमरोहा से अलवर आने के लिए ट्रेन में बिठाने के लिए आए. ट्रेन में मेरा सारा सामान रखवा कर वह ट्रेन से उतरकर खिड़की से होकर मुझसे बात करने लगे तो मैं बहुत भावुक हो उठी.उसी समय ट्रेन चल पड़ी. मेरे सामने वाली बर्थ पर एक अधेड़ उम्र की महिला बैठी थी. जब ट्रेन चलने लगी तो सामने की बर्थ पर बैठी वह महिला बोली कि वह तुम्हारे पापा खड़े हुए रो रहे हैं. इस तरह की एक नहीं अनेकों घटनाएं है जब समाज के लोगों ने उन्हें मेरे पिता के रूप में उद्घोषित किया है.

यह संबंध एक दिन में यूं ही नहीं बना बल्कि सालों समझौता हीन, कठोर और महान संघर्ष से स्थापित हुआ है. इस रिश्ते पर हम पिता और पुत्री दोनों को ही नाज है और यह आजीवन ऐसे ही सुंदर और प्रगाढ़ बना रहेगा.

 


Friday, April 26, 2019

शादी की पहली सालगिरह

 


शादी की पहली सालगिरह बहुत मुबारक हो अमित.

आपके जैसे व्यक्ति को, जो कि एक अच्छा और प्रगतिशील इंसान हैं, को जीवन साथी चुनने  के अपने निर्णय पर मुझे फक्र है. समाज की कुरीतियों, आडंबरों और पाखंडो के खिलाफ मेरी लड़ाई में आपने न केवल मेरा साथ दिया बल्कि हमेशा मेरे साथ दीवार बनकर खड़े रहे. आपके द्वारा दिए गए इसी बल की बनिस्बत ही मैं, शादी के बाद भी अपनी शर्तों और सिद्धांतों पर बिना किसी बाधा के जीवन जी पाई.
आपने मुझे हमेशा सम्मान दिया और बराबरी का दर्जा दिया. यही वजह है कि आज हम जीवन साथी से ज्यादा अच्छे दोस्त हैं. और सबसे बड़ी चीज, कि आपने कभी भी मेरी व्यक्तिगत आजादी में दखलंदाजी नहीं की और ना ही कभी अपनी इच्छा मेरे ऊपर थोपने की कोशिश की. आपके सहयोग की वजह से ही मैं अपने मूल्यों और आदर्शों को घर (ससुराल) में स्थापित कर पाई.
आपको जीवन साथी के रूप में पाकर मैं बहुत उल्लसित और गौरवान्वित हूं. शादी के बाद का एक साल जिस तरह हर्ष पूर्ण और नई उमंगों से भरा रहा, उम्मीद करती हूं कि आने वाले साल भी जीवन में नई आशाएं और उमंगे लेकर आएंगे

.

Monday, June 11, 2018

सबसे सुन्दर




अँधेरी रात में पेड़ो पर जुगनुओ का चमकना
या आसमान में सितारों का टिमटिमाना
भौर में चिड़ियों का चहचहाना
या शाम को झुण्ड बनाकर अपने घरो को उड़ जाना
यह दृश्य बहुत सुन्दर तो है
पर सबसे सुन्दर नहीं

उगते हुए सूरज की  लालिमा
या शाम को  छिटकी पीताम्बरी छठा
भौर में ओस से सर नवाये  दूब के पत्ते
या बारिश की  बूंदो से पत्तो का झुक जाना
 ये दृश्य बहुत सुन्दर तो है
पर सबसे सुन्दर नहीं

सबसे सुन्दर है वह मुस्कान
जो गहरी उदासी के बाद मिलती  है
आशा की वह सुनहरी किरण
जो घने बदलो को बेधकर निकलती है

वह कोमल कपोल पत्ता
जो टूटी टहनी के स्थान पर उगता है
वह हरी  भरी शाखा
जो कटे पेड़ कि ठूठ से उगती है


सबसे सुन्दर है प्रेम का वह अंकुर 
जो बंजर हुए दिल में उगता है 
वह भूली तमन्ना,वह बिसरी आरजू
जो बुझे दिल से फिर उठने लगती है

सबसे सुन्दर है वह रिश्ता
जो हर परिस्थिति में जीने की ताकत देता है
जो कोमल दिल को फिर दिलासा देता है 
जो संगीत विहीन मन में फिर संगीत रचा देता है 
सबसे सुन्दर होता है वह मुरझा गया चेहरा 
जो कोमल अहसास पाकर फिर खिल उठता है

Wednesday, January 10, 2018

प्रेम : दुनिया की सबसे खूबसूरत अनुभूति

   


     मैं हर रोज शाम को अपने घर की छत से नीले गगन में चाँद और तारों को उदित होते हुए देखती। तारों को एक एक कर निकलता हुआ देखने में मुझे अनूठा रस प्राप्त होता। चाँद तारों के उगने का ये ह्रदयग्राही दृश्य इतना रमणीक होता कि ये मुझमे नवीन भावों का संचार करता, जिसे देखकर मुझे केवल सबसे अच्छी और मेरे ह्रदय के सबसे निकट चीज़ों की याद आती। मेरा मन हर रोज़ शाम होने का तथा चाँद सितारे उगने के रमणीक दृश्य को देखने के लिए बेचैनी के साथ इंतज़ार करता। क्योकि चाँद और तारों से सजा हुआ आकाश मुझे मानसिक शांति देता। ये क्षणिक मानसिक शांति मुझे अपने ह्रदय के दुःख और मन को खट्टा करने वाली  सभी बातों को कुछ देर तक भूलने में मदद करती। कभी कभी जब आकाश बादलों से घिरा होता तो मेरा मन उदास हो जाता  क्योकि ये बादलों की अटल गहराइयाँ चाँद तारों को निगल जाती। 

      चाँद उगने के बाद धीरे धीरे आकाश में ऊपर चढ़ता जाता,और उसकी चांदनी तीव्र होती जाती। चाँद की स्थिर और शांत रोशनी मेरी आत्मा को सरोबार कर देती। चाँद तारों को आकाश में उदित होते देखकर मेरा हृदय उल्लास से भर जाता और मुझे लगता कि चांदनी खिली रात बाहें पसारे मेरी और बढ़ रही है और मुझे अपने आगोश में ले लेगी। आकाश में तैरता हुआ चाँद मुझे लगता की तारों की बारात लेकर कहीं जा रहा है। जिस समय प्रकृति का ये अद्भुत सौंदर्य मेरी आँखों के सामने हिलोरे ले रहा था, तभी मेरी ज़िन्दगी में सुहानी बयार का एक ऐसा झोंका आया जिसने मेरे ह्रदय के तारों को झनझना दिया। मैंने एक ऐसे सख्श का संपर्क प्राप्त किया जो मेरे वीरान जीवन में बहार बनकर आया। मुझे मालूम ही नहीं चला कि कब उसने मेरे स्थिर जीवन को गतिमान, सजग, स्पन्दनशील और जिंदादिली से भरपूर बना दिया। धीरे धीरे वो न केवल मेरा प्रिय मित्र बन गया बल्कि उससे बात करना मेरी रोजमर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा बन गया।  

   अब मैं लगभग रोजाना ही शाम को अपने घर की छत पर चाँद तारों के उदित होने के अनूठे सौंदर्य को देखते हुए उससे फ़ोन पर बातें करती। उसकी बातें जीवन की गहराई से भरपूर होतीं  जिनसे मेरा रोम रोम ख़ुशी से नाच उठता। उससे बातें करके मुझे अद्भुत हार्दिकता का अनुभव होता और मुझमे मधुर भावों का संचार होता। उससे रोजाना बातें करते करते धीरे धीरे मैं अनभुझ अनुभूति से ओतप्रोत हो नए नए सपनों का ताना बाना बुनने लगी जिन्हे मैं अपने ह्रदय के श्रेष्ठतम तत्वों और सुन्दर कल्पनाओ से सजाने लगी।  मौन अनुराग की भावना मेरे हृदय में उमड़ने घुमड़ने लगी और बाहर निकलने के लिए छटपटाने लगी। अब मुझे शाम होने और चाँद के उदित होने का और भी बेसब्री से इंतज़ार रहता और जैसे ही शाम होती और चाँद उदित होता मेरा मन उससे बात करने के लिए छटपटाने लगता। 

  उससे संपर्क के बाद धीरे धीरे मेरे पिछले जीवन की दुखदायी बातें अद्भुत ढंग से गायब हो गयीं और मुझे एक सर्वथा भिन्न प्रकार के जीवन की ताज़गी का अनुभव होने लगा। ऐसा मालूम होता कि मैं एक नए प्रकार के जीवन जो अधिक निर्मल,अधिक विचारशील, प्रेम तथा संवेदना से पूर्ण है, में सांसे ले रही हूँ। मुझे जीवन अधिकाधिक मूल्यवान नज़र आने लगा। मधुर भावों ने धीरे धीरे हृदय को कचोटने वाले पहलू ज़िन्दगी से गायब कर दिए। हर चीज़ आश्चर्यजनक ढंग से बदल गयी। अपने ह्रदय में मुझे एक नए निखार का अनुभव होने लगा और मेरा मन होने लगा कि ये समय कभी विदा न हो। 

   मुझे पता ही नहीं चला कि चाँद तारे देखते देखते कब मैं प्रेम के दृढ नाते से उसके साथ बांध गयी। उसे पाकर मुझे लगा कि मेरे सामने नयी उषा का उदय हुआ है। दुनिया मुझे बेहद खूबसूरत नज़र आने लगी। मेरे अंदर गहरी उमंगें उठने लगी जिनमे प्रेम की अदम्य आकांक्षा हिलोरे लेने लगी। मुझे लगा कि जीवन की सबसे सुन्दर और अर्थपूर्ण देन अगर कोई है तो वह है प्रेम। दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे यह न कर सके। प्रेम से ज्यादा खूबसूरत घटना शायद संसार में कोई दूसरी हो। किन्ही भी दो ह्रदयों के बीच पनपने वाला यह अहसास इतना खूबसूरत होता है कि इसमें सारी दुनिया को खूबसूरत बनाने की ताकत होती है। लेकिन इसकी सुंदरता तभी है जब इसमें नैतिकता हो,पशु वृति ना हो। इससे ज्यादा सुंदर मानवीय भावना कोई भी नहीं है। मेरे जीवन का तो इस मधुर मानवीय भावना ने एकदम कायाकल्प कर दिया है.  

 

Wednesday, December 6, 2017

मेरा जीवन रागिनी बन जाये


अँधियारा जिससे भाग जाये 

जीवन उजियारा हो जाये 

ऐसा दे दो राग मुझे तुम 

मेरा जीवन रागिनी हो जाये 


हो गया था समुद्र नाराज़ जिस नाव से 

पा गयी प्यार वह आज एक मझधार से 

बुझ गया था जो दिया भोर में ही दीन सा 

तुमने आकर उसे आज फिर से जला दिया 


अब चाहे कितनी भी आंधी आये 

कितना भी समुद्र हो जाये नाराज़ 

लेकर चलो तुम मुझे वहां 

जहाँ कभी न फिर अँधियारा छाए 

ऐसा दे दो राग मुझे तुम 

मेरा जीवन रागिनी हो जाये 


छूटा हुआ छोर मेरी जिंदगी का अब तुम पकड़ा दो 

रुके हुए जीवन का मेरे तुम संगीत बजा दो 

हाथ थामकर मेरा तुम ले चलो वहां 

मानव का मानव से रिश्ता गहरा हो जहाँ 


चन्दन हर मिट्टी हो जाये 

चन्दन हर बगिया बन जाये 

ऐसा दे दो राग मुझे तुम 

मेरा जीवन रागिनी बन जाए 


जबसे आँगन में मेरे प्यार तुम्हारा उतरा है 

मेरे बाग़ की हर कली का रुख निखार गया है 

जबसे तुमको पाया है जीवन नया मुझे मिला है 

मानो उजड़ा हुआ बाग़ फिर से खिला है 


तुम ऐसा बरसा दो रंग मुझ पर 

जिसमे जन्म जन्म तक मन भीगा जाये 

ऐसे सजा दो सुर मुझमे तुम 

की ख्वाब मेरे हकीकत बन जाएँ 

ऐसा दे दो राग मुझे तुम 

कि मेरा जीवन रागिनी बन जाये 

Thursday, October 19, 2017

Beauty of life




Adopt the pace of nature
Her secrete is to living for others
No two people see the rainbow
The same way high in the sky
The beauty of nature touches
Each his own way
If you feel the joy
Which you can not measures
You are close to your heart
Which is priceless treasures
Let your life lightly dance
On the edges of time
Like dew on the tip of leaf
During morning time
 
Count the garden by the flowers
Never by the leaves that fall
Count your life with smiles
And not the tears that roll
Don’t let the pain of one season
Destroy the joy of all the rest
Don’t judge the life
By one difficult season
Flower that blooms
In adversity is rarest
And most beautiful of all
  
Dark is not opposite of light
It is just absence of light
A problem is absence of an idea
Not absence of a solution
It does not matter
For how long room has been dark
The moment you bring a candle
Darkness vanishes lake it was never there
It does not matter for how long
We are stuck in a sense of our limitation
The moment you decide to break free
Nothing will stop you
At the mercy of wind
A leaf fall from tree
it goes wherever wind takes it
be the wind to drive others
not leaf to be driven by others
if u think positively
sounds become music
movements become dance
smiles become laughter
mind become meditation
and life become a celebration